अखंड समाचार, नई दिल्ली (ब्यूरो) : बॉलीवुड में भगवान नाम से मशहूर ‘भगवान दादा’ ने फिल्म ‘क्रिमिनल’ से अपना डेब्यू किया। उन्होंने न केवल बतौर एक्टर काम किया, बल्कि कई फिल्में प्रोड्यूस भी की। बॉलीवुड को खड़ा करने में उनका भी बड़ा योगदान रहा है। भगवान दादा का असली नाम भगवान आभाजी पालव था। वो उस वक्त के पहले डांसिंग स्टार और एक्शन हीरो थे। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि बॉलीवुड पर राज करने वाले भगवान दादा का आखिरी समय बेहद दुखद रहा है। आलीशान बंगले में रहने वाले भगवान दादा का निधन बस्ती के एक छोटे से कमरे में हुआ था।
महंगी गाड़ियों का था शौक
जब लोग आम जिंदगी जिया करते थे, उस वक्त भी भगवान दादा को महंगी कारों का शौक था। उनके पास एक से बढ़कर एक महंगी कारें थीं। उनके पास एक या दो नहीं, पूरी सात गाड़ियां हुआ करती थी। उनका बंगला भी बहुत आलीशान था, जिसमें कुल 25 कमरे हुआ करते थे। भगवान दादा रोज अपनी अलग-अलग गाड़ी से शूटिंग के लिए जाते थे।
भगवान दादा ने करियर की शुरुआत भले ही मूक फिल्म से की हो, लेकिन उसके बाद उन्होंने कई बोलती फिल्में की। उनकी पहली बोलती फिल्म ‘हिम्मत-ए-मर्दा’ थी, जिसमें उनके साथ ललिता पंवार थीं। ये फिल्म साल 1934 में आई थी। इसके बाद भगवान दादा का सितारा ऐसा बुलंद हुआ कि उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्में दीं। उन्होंने फिल्म मेकिंग भी सीख ली और अपनी फिल्में बनाना शुरू कीं। भगवान दादा ने फिल्म इंडस्ट्री को पूरे 65 साल दिए हैं।
फिल्म ने पहुंचा दिया था अर्श से फर्श पर
भगवान दादा ने कई फिल्में बनाई, लेकिन उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी ‘बहादुर किसान’। उनकी फिल्म अलबेला भी सुपरहिट रही थी। लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब उनका बुरा समय शुरू हो गया। उन्होंने फिल्म ‘हंसते रहना’ का निर्माण किया और फिल्म में किशोर कुमार को बतौर हीरो साइन किया गया। लेकिन कहा जाता है कि किशोर कुमार के बढ़ते नखरों के कारण फिल्म को बीच में ही बंद करना पड़ा।
बिक गया था घर और कारें
इस फिल्म को बनाने के लिए भगवान दादा ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। फिल्म को बीच में ही बंद करने के कारण भगवान दादा को अपना घर और कारें बेचनी पड़ी। भगवान के पास पैसे नहीं बचे और वो अच्छे घर की बजाय मुंबई की एक छोटी सी चॉल में रहने चले गए। जहां रहते हुए साल 2002 में उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।