नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाला से जुड़े धनशोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दर्ज मुकदमे में शुक्रवार को अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की ओर से दर्ज मुकदमे के कारण तत्काल जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे। दोनों मामले में वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को अंतरिम राहत संबंधी आदेश पारित किया। पीठ ने उन्हें राहत देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता (केजरीवाल) की ओर से ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका में उठाए गए कुछ कानूनी पहलुओं पर शीर्ष अदालत की बड़ी पीठ द्वारा विचार किए जाने की आवश्यकता है। इसलिए उनकी अंतरिम जमानत याचिका तब तक स्वीकार की जाती है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल आबकारी नीति 2021-2022 (जिसे विवाद के बाद रद्द कर दी गई थी) के मामले में पहले ईडी और फिर सीबीआई द्वारा अलग-अलग दर्ज मुकदमों में न्यायिक हिरासत में जेल में बंद शीर्ष अदालत की पीठ ने आज केजरीवाल को राहत देते हुए कहा कि जीवन के अधिकार से जुड़े सवाल के कारण यह मामला शीर्ष अदालत की बड़ी पीठ को संदर्भित किया गया है, इसलिए हम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हैं।” शीर्ष अदालत ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता है या नहीं, इस संबंध में कानूनी प्रश्न पर शीर्ष अदालत की बड़ी पीठ द्वारा विचार किया जाना है।