जालंधर में प्रसिद्ध साहित्यकार व इतिहासकार दीपक जालंधर की आज सुबह निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। पिछले करीब आठ दिनों से अस्पताल में भर्ती नहीं थे। उनके निधन से साहित्य जगत के साथ-साथ धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाओं में शोक की लहर है।
अखंड समाचार, जालंधर : विभाजन के बाद से लेकर विकसित होते जालंधर की तस्वीर को शब्दों के माध्यम से अपनी किताबों में बयां करने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार तथा इतिहासकार दीपक जालंधरी का निधन हो गया है। उन्होंने रविवार को सुबह 9 बजे अंतिम सांस ली। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से साहित्य जगत के साथ-साथ धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाओं में शोक की लहर है।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के करीबी रहे तथा साहित्य जगत से लंबे समय से जुड़े रहे दीपक जालंधरी ने जालंधर की नहीं बल्कि देश के इतिहास पर भी कई किताबें लिखी। दीपक जालंधरी के साथ लंबे समय तक रहे जालंधर वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सुरेंद्र सैनी बताते हैं कि जालंधर के प्रति दीपक जालंधरी का दर्द उनकी किताबों में झलकता है। वह बताते हैं कि कई बार दीपक जालंधरी ने व्यंगात्मक तरीके से सरकार से जालंधर तथा पंजाब के विकास को लेकर आवाज भी बुलंद की।
शहर में होने वाले विभिन्न धार्मिक सामाजिक तथा साहित्य आयोजनों में दीपक जालंधरी की भूमिका सदैव सशक्त रही। उनका अंतिम संस्कार किशनपुरा श्मशानघाट में रविवार को शाम 4 बजे किया जाएगा। दीपक जालंधरी के निधन पर विधायक बावा हेनरी, विधायक रमन अरोड़ा, शीतल अंगुराल, श्री देवी तालाब मंदिर प्रबंधक कमेटी के महासचिव राजेश विज, प्राचीन शिव मंदिर दोमोरिया पुल के अध्यक्ष यादव खोसला , विजय महेंद्रु सहित कई गणमान्य ने शोक व्यक्त किया।
यहां लाजपत नगर के रहने वाले जालंधरी ने जालंधर शहर के इतिहास को अपनी पुस्तक ‘एक शहर जालंधर’ में कालानुक्रमिक रूप से लिखा है। जालंधरी की लघु कहानियों का संग्रह, ‘जिंदगी आस’, 2019 में रिलीज़ हुई। उन्होंने कुछ बॉलीवुड फिल्मों की पटकथाएँ भी लिखीं।
दीपक जालंधरी की किताब ‘एक शहर जालंधर’ 5 वर्ष पहले हुई थी रिलीज
शहर की अजीम हस्ती मनमोहन कालिया। सामाजिक एकता और शहर की तरक्की के लिए अमर सोच का प्रसार करने वाले राजनीतिज्ञ। आज उन्हीं की सोच को आगे बढ़ा रहे हैं बेटे मनोरंजन कालिया। साहित्यकार दीपक जालंधरी ने अपनी एक शहर जालंधर… नामक किताब मनमोहन कालिया को समर्पित की थी।
साहित्यकार दीपक जालंधरी ने जालंधर के पुरातन इतिहास और समय के साथ आए बदलावों को बहुत ही जानकारी वर्धक तरीके से इस किताब में बयान किया। उन्होंने जालंधर के मंदिरों, युद्ध इतिहास, कोटों, बस्तियों को बहुत ही रोचक तरीके से बताया हुआ है। साहित्यकार दीपक जालंधरी ने यूं तो व्यंग्य, नाट्य कविता की विधाओं में लेखन भी करते थे। उन्होंने शहर की प्रख्यात हस्तियों के संस्मरणों पर भी लेखन किया। किताब के कुल 109 पन्ने थे। जिसमें जालंधर का पौराणिक इतिहास, मध्यकालीन इतिहास और शतवर्षीय इतिहास भी शामिल है। इनके साथ ही जालंधर के 12 गेट, 12 कोट, 12 बस्तियों, 12 बाग, 12 तालाब, 12 धार्मिक स्थलों के बारे में बताया गया है। उन दिनों के जालंधर नगर के जो नए जीवन के अनुसार तरक्की के कदम बढ़ रहे थे, उस पर भी नजर दौड़ाई गई। यह किताब पूर्व विधायक मनोरंजन कालिया के पिता मनमोहन कालिया को समर्पित की गई थी।
आज वही दीपक जालंधरी इस युग को त्याग कर पंचतत्व में लीन हो चुके हैं। लेकिन इनकी किताबों के ज़रिए यह हमेशा हमारे दिल और बातों में हमारे साथ रहेंगे।