पंजाब के मुख्यमंत्री स.भगवंत सिंह मान की पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर ने ज्योति प्रज्वलित कर किया कथा का शुभारंभ
तीर्थ स्थल को कभी मनोरंजन का स्थान ना बनाए :- जया किशोरी
अखंड समाचार, जालंधर (आर भल्ला): श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश देकर हमें कर्मयोग का ज्ञान सिखाया। प्रत्येक व्यक्ति को कर्म के माध्यम से जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।और साधा सुख केवल भगवान के चरणों में है। भागवत कथा से कल्याणकारी और कोई भी साधन नहीं है, इसलिए व्यस्त जीवन से समय निकालकर कथा को आवश्यक महत्व देना चाहिए। भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं है। भागवत कथा अमृत है। इसके श्रवण करने से मनुष्य अमृत हो जाता है। यह एक ऐसी औषधि है, जिससे जन्म-मरण का रोग मिट जाता है, यह उक्त विचार अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक जया किशोरी ने पटेल चौंक के नज़दीक साई स्कूल की ग्राउंड में हो रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन पंडाल में कहे।
कथा के दौरान पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री स.भगवंत सिंह मान की पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर ने ज्योति प्रज्वलित कर कथा का शुभारंभ किया । कथा में वेस्ट हल्के के विधायक शीतल अगुंराल, लवली स्वीट के मालिक अशोक मित्तल, नार्थ के पूर्व विधायक के ड़ी भंडारी, वेस्ट के आप नेता विनीत धीर, अमित संगा आदि विशेष तौर पर शिरकत हुए।
इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक जया किशोरी ने पांचवे दिन की कथा में भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं, गोवर्धन पूजन व छप्पन भोग का भावपूर्ण वर्णन बताया। कथा में जया किशोरी ने श्री कृष्ण जन्म कथा को आगे बढ़ाते हुए पूतना वध, यशोदा मां के साथ बालपन की शरारतें, भगवान श्रीकृष्ण का गो प्रेम, माखन चोरी गोपियों का प्रसंग सहित अन्य कई प्रसंगों का कथा के दौरान वर्णन किया।
श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा के बीच में ” कौन कहते है भगवान आते नहीं, मेरी लगी श्याम संघ प्रीत मैं तो नाचूँगी, नंद भवन में उड़न लगी धूल, राधे राधे गोबिंद राधे इत्यादि भजन सुना कर आए हुए भगतों को भाव विभोर कर झूमने पर विवश किया ।
उन्होंने कहा कथा कि तीर्थ स्थल को कभी मनोरंजन का स्थान ना बनाए और कहा कि हरी नाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है। भागवत कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। कलयुग की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि कलयुग में हरी नाम से ही जीवन का कल्याण हो जाता है। कलयुग में ईश्वर का नाम ही काफी है, सच्चे हृदय से हरि नाम के सुमिरन मात्र से कल्याण संभव है।
इसके लिए कठिन तपस्या और यज्ञ आदि करने की आवश्यकता नहीं है। जबकि सतयुग, द्वापर और त्रेता युग में ऐसा नहीं था। कथा के अंत में श्री कृष्ण की प्रत्येक लीला दिव्य है और हर लीला का आध्यात्मिक महत्व है। और भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत लीला का वर्णन करते हुए कहा की भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊंगली पर धारण कर इंन्द्र का मान भंग किया। भगवान श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। उस पर्वत के नीचे खड़े होने से सभी गोकुलवासियों की जान बच गई थी। इसी बात से खुश होकर गोकुलवासियों ने श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाया।
इस अवसर पर विधायक रमन अरोड़ा, विधायक शीतल अंगुराल, महेश मखीजा, वरिष्ठ समाज सेवक राहुल बाहरी, राजू अरुण आनंद, विनोद शर्मा, शिवम मखीजा, अमित संघा, वनीत धीर, राजू मदान, दविंदर वर्मा, पूर्व पार्षद श्वेता धीर, गीता अरोड़ा, बिट्टू, दीपक कुमार, राज अरोड़ा, राधा मदान, साक्षी अरोड़ा, ऊर्जा मदान, शाम शर्मा, अरोड़ा, बॉबी मखीजा, दीपिका सोनू बजाज, मनीष बजाज, गौरव, हरसिमरन बंटी पूर्व डिप्टी मेयर, ममता मखीजा, रमेश अरोड़ा इत्यादि उपस्थित थे।