नई दिल्ली। भारत एवं जर्मनी ने देश में आर्थिक सहयोग के नए अवसरों के संबंध अपनी साझीदारी एवं निवेश बढ़ाने का आज संकल्प लिया तथा खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा के साथ साथ जलवायु परिवर्तन एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में मिलकर काम करने का इरादा जताया। जर्मनी ने भारतीय प्रतिभाओं के लिए रोज़गार के द्वार खोलने की भी घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलोफ शोल्ज़ के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय बैठक में ये इरादे एवं संकल्प व्यक्त किए गए।
पीएम मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत और जर्मनी के मजबूत संबंध, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, और एक दूसरे के हितों की गहरी समझ पर आधारित हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान का लंबा इतिहास रहा है। विश्व की दो बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ता सहयोग, दोनों देशों की जनता के लिए लाभकारी तो है ही, आज के तनावग्रस्त विश्व में इससे एक सकारात्मक संदेश भी जाता है।
उन्होंने कहा कि जर्मनी यूरोप में हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार होने के साथ भारत में निवेश का भी महत्वपूर्ण स्रोत है। आज ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की वजह से भारत में सभी क्षेत्रों में नए अवसर खुल रहे हैं। इन अवसरों के प्रति जर्मनी की रुचि से हम उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि जर्मनी के कारोबारी प्रतिनिधिमंडल और भारतीय व्यापारियों के बीच एक सफल बैठक हुई, और कुछ अच्छे एवं बड़े महत्वपूर्ण समझौते भी हुए हैं। डिजीटल ट्रांसफॉर्मेशन, फिनटेक, आईटी, टेलीकॉम और आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी त्रिकोणीय विकास सहयोग के तहत तीसरे देशों के विकास के लिए आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमारी जनता के बीच पारस्परिक संबंध भी सुदृढ़ हुए हैं। उन्होंने कहा कि गत वर्ष जर्मनी में हमने हरित एवं सतत विकास साझीदारी की घोषणा की थी। इसके माध्यम से, हम जलवायु परिवर्तन कार्रवाई और सतत विकास लक्ष्य के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं। सुरक्षा और रक्षा सहयोग हमारी रणनीतिक साझीदारी का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ बन सकता है। इस क्षेत्र में हमारे अनछुई क्षमताओं का पूरी तरह दोहन करने के लिए हम साथ मिलकर प्रयास करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और जर्मनी के बीच सक्रिय सहयोग है। दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं कि ‘सीमापार आतंकवाद’ को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है। कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव पूरे विश्व पर पड़े हैं। विकासशील देशों पर इनका विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव रहा है। हमने इस बारे मे अपनी साझा चिंता व्यक्त की। हम सहमत हैं कि इन समस्याओं का समाधान संयुक्त प्रयासों से ही संभव है। भारत की जी-20 की अध्यक्ष्ता में भी हम इस बात पर बल दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के घटनाक्रम के शुरुआत से ही भारत ने संवाद और कूटनीति के माध्यम से इस विवाद को सुलझाने पर जोर दिया है। भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है। हमने इस बात पर भी सहमति दोहराई कि वैश्विक वास्तविकताओं को बेहतर तरीके से दर्शाने के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने के लिए जी-4 के अंतर्गत हमारी सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट है।
जर्मन चांसलर श्री शोल्ज़ ने कहा कि भारत ने काफी तरक्की है और यह दोनों देशों के संबंधों के लिए बहुत अहम बात है। आज दुनिया रूस की आक्रामकता के परिणामों को भोग रहीं है। इस समय खाद्य एवं ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित रखना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि हमें प्रतिभाओं एवं कुशल कामगारों की जरूरत है। सूचना प्रौद्योगिकी एवं सॉफ्टवेयर डेवेलपमेंट भारत में बहुत तेजी से विकास कर रहा है और यहां बहुत सारी सक्षम कंपनियां हैं। उन्होंने कहा, “भारत के पास बहुत प्रतिभा है और हम इसका सहयोग एवं लाभ लेना चाहते हैं। हम भारत की प्रतिभाओं को जर्मनी में आकर्षित एवं भर्ती करना चाहते हैं। शोल्ज़ ने कहा कि जी-20 के अध्यक्षीय कार्यकाल में भारत के साथ मिल कर इन विषयों को वैश्विक एजेंडा में स्थान दिलवाने के लिए काम किया जाएगा। दोनों देशों के बीच आव्रजन संबंधी करार इसी दिशा में एक आदर्श करार है।