अखंड समाचार, नई दिल्ली (ब्यूरो) : शीर्ष अदालत ने सोमवार को सशस्त्र बलों के योग्य पेंशनभोगियों को किस्तों में वन रैंक-वन पेंशन के बकाया के भुगतान के संबंध में 20 जनवरी दिए गए पत्र पर रक्षा मंत्रालय को जमकर फटकार लगाई। इस मामले पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने रक्षा मंत्रालय के सचिव द्वारा जारी पत्र पर आपत्ति जाताते हुए उन्हें अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। अदालत ने इस मामले में मंत्रालय को फटकार लगाते हुए कहा कि आप सचिव से कहें कि हम 20 जनवरी को जारी पत्र के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं। आप या तो इसको वापस लें या फिर हम रक्षा मंत्रालय को अवमानना नोटिस जारी करने जा रहे हैं। न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखनी होगी। इस मामले पर सुनवाई कर रही बैंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं। उधर, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने कहा कि कोर्ट के आदेश के अनुसार रक्षा मंत्रालय को इस पर अभ्यास करने के लिए समय दिया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत इस मामले पर होली की छुट्टी के बाद सुनवाई करेगी। उल्लेखनीय है कि नौ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों के सभी पात्र पेंशनभोगियों को ओआरओपी के कुल बकाया के भुगतान के लिए केंद्र को 15 मार्च तक की समय-सीमा दी थी। दरअसल वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) योजना के बकाया का भुगतान चार की जगह एक ही किस्त में किए जाने की मांग को लेकर पूर्व सैनिकों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस समूह ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की थी। याचिका में रक्षा मंत्रालय की तरफ 20 जनवरी, 2023 के केंद्र के संवाद को रद्द करने की मांग भी की गई थी।
OROP पर रक्षा मंत्रालय को फटकार, शेष बकाया का भुगतान चार किस्तों में करने के पत्र पर सुप्रीम कोर्ट सख्त