अखंड समाचार, नई दिल्ली (ब्यूरो) :
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को एक बार फिर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मिले और अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश का विरोध करते हुए केजरीवाल का समर्थन किया। उन्होंने शुक्रवार को केंद्र सरकार के लाए गए अध्यादेश को संविधान के खिलाफ बताया। एक महीने में दोनों मुख्यमंत्रियों की यह दूसरी मुलाकात है। इससे पहले 12 अप्रैल को दोनों मिले थे। नीतीश के साथ बिहार के डिप्टी सीएम और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी भी थे। मुलाकात के दौरान केजरीवाल ने कहा कि अगर केंद्र इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए राज्यसभा में लाती है, तो विपक्षी दल साथ दें। विपक्ष एक साथ होगा, तो 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा खत्म हो जाएगी। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार को नियम के मुताबिक, संसद में अगले छह महीने में बिल लाना होगा। मैं विपक्ष के सभी नेताओं और मुख्यमंत्रियों से मिलकर इस बिल के विरोध के लिए उनका समर्थन मांगूंगा। 23 मई को दोपहर तीन बजे मैं ममता बनर्जी से मिलने कोलकाता जाऊंगा। उसके बाद बारी-बारी से विपक्षी दलों के नेताओं और मुख्यमंत्रियों से मिलूंगा। केजरीवाल ने कहा कि नीतीश कुमार से भी मैंने इस संबंध में विपक्षी दलों के नेताओं से बात करने का निवेदन किया है।
उधर, मीडिया से बातचीत करते हुए नीतीश कुमार ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश पर अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि एक चुनी हुई सरकार को दी गई शक्तियां कैसे छीनी जा सकती हैं? यह संविधान के खिलाफ है। हम अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हैं। हम देश के सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि यह मीटिंग इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कांग्रेस ने 20 मई को कर्नाटक में सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश को तो बुलाया था, लेकिन केजरीवाल को न्योता नहीं दिया था। नीतीश 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के लिए विभिन्न दलों के नेताओं से मिल रहे हैं। अरविंद केजरीवाल 23 मई को ममता बनर्जी से मिलने कोलकाता जाएंगे।
यह है केंद्र सरकार का विवादित अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के उलट केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी एलजी का होगा। इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा। संसद में अब छह महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा।