अखंड समाचार — नई दिल्ली (ब्यूरो) :
विपक्षी धड़े की दो प्रमुख पार्टियां तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आम आदमी पार्टी (आप) ने बीते तीन दिनों में कांग्रेस को जिस तरह से निशाने पर लिया है, उसने पटना में 23 जून को होने वाली बैठक में विपक्षी एकता की कोशिशों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने राजस्थान में रविवार को हुई रैली में कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधा। दरअसल, राजस्थान में आम आदमी पार्टी इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में पूरे दमखम के साथ उतरने की योजना बना रही है। वहीं केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस ने अभी तक आधिकारिक तौर पर आप का समर्थन नहीं जताया है। इसके अलावा केजरीवाल राहुल गांधी से भी मिलने का समय नहीं ले पाए हैं। आप के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि करीब दर्जन भर राज्यों में उनकी मौजूदगी है।
उधर, तीन दिन पहले टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी चेतावनी दी थी कि अगर कांग्रेस पश्चिम बंगाल में उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी वाम दलों के साथ गठबंधन करना जारी रखती है, तो वह उसके साथ नहीं खड़ी होंगी।
बीआरएस-टीडीपी-बीजेडी के लिए राज्य हित सर्वोपरि
तीन अन्य विपक्षी दल, तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजेडी) 23 जून की पटना बैठक से दूर रह रहे हैं, क्योंकि वे अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस के साथ मुकाबला कर रहे हैं। दरअसल बीआरएस, इस साल के अंत में होने वाले तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा को टक्कर देगी। पार्टी प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने हाल ही में कहा था कि कांग्रेस को बंगाल की खाड़ी में फेंक दिया जाना चाहिए। उधर, टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के साथ दोबारा से गठबंधन करने की संभावना तलाश रहे हैं। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस धड़े में शामिल होने से इनकार कर दिया है। मायावती की बसपा को पटना बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है।