चंडीगढ़ : पंजाब कांग्रेस के सभी विवाद जुलाई के पहले हफ्ते में समाप्त कर दिए जाने के पार्टी हाईकमान के एलान के बाद प्रदेश कांग्रेस में अंदरखाते खलबली मची हुई है। खासतौर पर कैप्टन खेमा पिछले हफ्ते से काफी चिंता में दिखाई दे रहा है, जब से कैप्टन तीन सदस्यीय कमेटी से नई दिल्ली में बातचीत करके लौटे हैं। कमेटी ने उन्हें जो भी फैसला सुनाया है, उससे खफा होकर कैप्टन सोनिया और राहुल से मिले बिना ही पंजाब लौट आए हैं।
कैप्टन के करीबी सलाहकारों ने जो संकेत दिए गए हैं, उससे साफ हो गया है कि हाईकमान नवजोत सिंह सिद्धू को किसी भी कीमत पर पार्टी से अलग करने को तैयार नहीं है। सिद्धू की नाराजगी दूर करने के लिए प्रदेश कांग्रेस व सरकार में उन्हें सम्मानजनक स्थान देने की तैयारी हो चुकी है। वहीं सिद्धू भी इन दिनों बदले-बदले नजर आ रहे हैं। उन्होंने अपने तीखे ट्वीटों का मुंह कैप्टन की तरफ से मोड़कर प्रदेश सरकार के अफसरों की तरफ कर दिया है। इस तरह पहला हमला उन्होंने प्रदेश के डीजीपी पर किया है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार नवजोत सिद्धू के आम आदमी पार्टी में जाने और मुख्यमंत्री चेहरा होने की चर्चाओं ने हाईकमान को चौकन्ना कर दिया है। प्रदेश इकाई का विवाद सुलझाने के लिए बीच का रास्ता तलाश रहे कांग्रेस हाईकमान ने अब सबको समान रूप से साथ लेकर चलने का फैसला किया है।
सीएमओ में कैप्टन के एक सलाहकार से बातचीत के दौरान यह जानकारी मिली है कि पार्टी हाईकमान कैप्टन और सिद्धू के बीच रुतबे की जंग को अनदेखा करके दोनों नेताओं को समान महत्व देगा और आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों ही नेताओं को बराबरी की जिम्मेदारियां सौंपते हुए आगे बढ़ा जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि कैप्टन सिद्धू को अपने साथ रखने को तैयार नहीं हैं और सिद्धू डिप्टी सीएम के ओहदे पर भी इंकार कर रहे हैं? इस पर उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं को पार्टी हाईकमान की बात माननी ही होगी और हाईकमान दोनों को यह एहसास करा रहा है कि पार्टी के लिए दोनों ही महत्वपूर्ण और समान कद के नेता हैं।