कश्मीर और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के दो सलाहकारों द्वारा की गई बयानबाजी से सोमवार को पंजाब का सियासी पारा चढ़ गया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रविवार को दोनों सलाहकारों को जमकर लताड़ा था।
सोमवार को सांसद मनीष तिवारी ने भी कैप्टन की बात का समर्थन करते हुए पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत से मामले में दखल देने की मांग की है। तिवारी ने तल्ख अंदाज में सवाल किया कि पार्टी तो बहुत दूर की बात है, क्या ऐसे लोग देश में रहने लायक भी हैं। वहीं मामले में विवाद बढ़ने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने दोनों सलाहकारों मलविंदर सिंह माली और डॉ. प्यारे लाल गर्ग को चर्चा के लिए अपने पटियाला आवास पर बुला लिया है।
इसके बाद पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने नवजोत सिद्धू से बात की है। उनका कहना है कि बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। ऐसे में संभावना है कि चुनाव के समय इस तरह के विवादों से राजनीतिक लाभ लिया जा रहा है। उन्होंने साफ किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। किसी को भी इस पर संदेह करने का अधिकार नहीं है।
सिद्धू के सलाहकार की तरफ से पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का विवादास्पद स्केच पोस्ट करने पर रावत ने कहा कि वह सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थीं। हमारे लिए एक मां की तरह हैं। अगर उनके बारे में कुछ अपमानजनक कहा जाता है, तो हम इसकी निंदा करेंगे। आरोप साबित होने पर कार्रवाई की जाएगी।
सिद्धू को सभी ने दी सलाह
रविवार को मुख्यमंत्री ने सिद्धू के दोनों सलाहकारों डा. प्यारे लाल गर्ग और मालविंदर सिंह माली को हिदायत दी थी कि वे प्रदेश प्रधान को सलाह देने तक ही सीमित रहें और संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाजी न करें। इन दोनों को सिद्धू ने हाल ही में अपना सलाहकार नियुक्त किया है। उल्लेखनीय है कि माली ने शनिवार को अपने फेसबुक पेज पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का विवादास्पद कार्टून पोस्ट करने के कुछ घंटों बाद ही कैप्टन पर भी निशाना साधते हुए उनके निजी जीवन से जुड़े फोटो पोस्ट करते हुए अभद्र टिप्पणी की थी।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि कश्मीर भारत का अटूट अंग था और अब भी है। उन्होंने कहा कि इसके उलट माली ने पाकिस्तान की हां में हां मिलाने वाला बयान दिया है, जो पूरी तरह देश विरोधी है। उन्होंने माली की निंदा करते हुए कहा कि ना सिर्फ अन्य पार्टियां बल्कि कांग्रेस द्वारा भी व्यापक रूप में निंदा किए जाने के बावजूद माली ने अपना बयान वापस नहीं लिया।