कांग्रेस इन दिनों दोहरी चुनौतियों का सामना कर रही है, एक तरफ कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी, बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद में जुटी हुई हैं तो दूसरी तरफ एक-एक राज्य का असंतोष सार्वजनिक होता जा रहा है। राज्य स्तर पर कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी के कारण कांग्रेस को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पार्टी ने तमाम कोशिशों के बाद पंजाब में सिद्धू बनाम कैप्टन के विवाद का निपटारा किया था लेकिन एक बार फिर से इस मामले की खुलती परतों ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सिद्धू के एडवाइजर के बयान पर जिस तरह से अन्य कांग्रेसी नेताओं का रुख निकलकर सामने आया, उससे साफ हो गया है कि बाहर ‘आग’ भले ही बुझी हुई नजर आ रही हो, अंदर ‘चिंगारी’ अभी भी बरकरार है।
पंजाब कांग्रेस में फिर से बगावत? : कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू के दो सलाहकारों द्वारा कश्मीर और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर विवादित बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सिद्धू को अपने सलाहकारों को काबू में रखना चाहिए। उन्हें सिर्फ सिद्धू को ही एडवाइज देनी चाहिए। उनका बयान का असर इस तरह से देखने को मिला कि अमरिंदर सिंह के खिलाफ कांग्रेस में बगावत फूट गई, अबकी तीस विधायकों ने सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए समय मांगा है। जानकारी के मुताबिक यह विधायक सीएम बदलने की मांग करने वाले हैं।
भूपेश बघेल और TS देओ के साथ मुलाकात करेंगे राहुल गांधी: तकरार का ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रहा है। यहां तनातनी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस देओ के बीच है। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि यह दोनों नेता राहुल गांधी से मुलाकात के लिए दिल्ली आ रहे हैं। चूंकि बघेल को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है ऐसे में सोनिया गांधी या उनका प्रतिनिधि इस मीटिंग में शामिल हो सकता है।
हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडु भी नाराज: दोनों ही राज्यों में विवाद का पार्टी और सत्ता पर वर्चस्व की है। इसी तरह राजस्थान, हरियाणा और तमिलनाडु में तनातनी जैसे हालात बने हुए हैं, इन तीनों राज्यों में भी पार्टी के नेताओं की नाराजगी सार्वजनिक हो चुकी है। पायलट जहां गहलोत कैबिनेट में अपने साथियों को शामिल किए जाने का इंतजार कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ हुड्डा बनाम शैलजा सिंह का विवाद भी पूरी तरह से सुलझा नहीं है। इसके अलावा तमिलनाडु में कार्ति चिदंबरम ने प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग करके पार्टी के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
इन सबके अलावा पार्टी के कुछ सीनियर नेता भी आलाकमान के रवैये से नाराज बताए जा रहे हैं। इन नेताओं को जी-23 की उपाधि दी गई थी। वह लगातार पार्टी में मंथन और उलटफेर की बात भी कर रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि सोनिया गांधी की अगुवाई में कांग्रेस इतने सारे फ्रंट पर कैसे मामलों का निपटारा करती हैं।