अखंड समाचार (आँचल) : गेहूं की फसल के साथ-साथ तूड़ी पर भी गर्मी की मार पड़ी है। गर्मी के कारण गेहूं के दानों के साथ पौधे भी सिकुड़ रहे है। जिस वजह से तूड़ी की पैदावार में करीब 50 प्रतिशत कमी आई है। हालांकि सरकार ने इस पर कोई सर्वे तो नहीं कराया, लेकिन किसान बताते हैं कि पहले एक एकड़ में तीन ट्राली तूड़ी निकलती थी, जो अब कम होकर डेढ़ ट्राली ही रह गई हैं।
तूड़ी कम होने व राजस्थान के व्यापारियों द्वारा पंजाब से तूड़ी खरीद कर जमा करने के कारण अब तूड़ी के दाम दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं। तूड़ी इस सीजन में पहले 250 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिका करती थी, जबकि इस समय चार से सात सौ रुपये में बिक रही है। पठानकोट, बठिंडा, रूपनगर व फतेहगढ़ साहिब में सात सौ, फरीदकोट में छह सौ, अमृतसर में साढ़े पांच सौ, तरनतारन में पांच सौ व जालंधर व फिरोजपुर में चार सौ रुपये रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से तूड़ी मिल रही है।
दाम बढ़ने का एक बड़ा कारण है कि राजस्थान के व्यापारियों द्वारा तूड़ी को पंजाब से खरीद कर राजस्थान में जमा किया जा रहा है। इस सबंध में बीकानेर में छापेमारी भी हुई है। तूड़ी के भंडारण के कारण स्थानीय छोटे पशुपालकों को अपने मवेशियों के लिए तूड़ी खरीदनी भी मुश्किल हो गई है। अमृतसर के तूड़ी कारोबारी किशन कुमार ने बताया कि हरियाणा सरकार ने तूड़ी दूसरे प्रदेशों में बेचने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसी कारण पंजाब से हिमाचल, जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों में तूड़ी जा रही है।
जानकारी के अनुसार फरवरी मध्य के बाद से लेकर मार्च व अप्रैल के पहले सप्ताह में पड़ी भीषण गर्मी से गेहूं का दाना पतला और छोटा रहने से उपज कम हुई। जनवरी व फरवरी में ही गेहूं की उंचाई बढ़ती है। यही समय गेहूं की फसल के बढ़ने का होता है। लगातार बारिश की वजह से फसल बढ़ नहीं पाई, जिस कारण इस साल तूड़ी भी कम पड़ रही है। बठिंडा कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर जतिंदर सिंह बराड़ ने बताया कि समय से पहले गर्मी बढ़ जाने के कारण गेहूं पर प्रभाव पड़ा है। गर्मी से जहां गेहूं का दाना सिकुड़ा है, वहीं इसके नाड़ पर भी गर्मी का असर पड़ा है। इस बार पौधों का पूरा विकास नहीं हो पाया।