अखंड समाचार, पंजाब (आँचल) : राज्य सरकार द्वारा धान की बुआई 18 जून से करने की घोषणा ने किसानों में बैचेनी बढ़ा दी है। ज्यादातर किसान अपनी पसंद के अनुसार धान की पनीरी लगा चुके हैं, लेकिन लेट होने वाली किस्म पीआर 126 के बीज सरकारी संस्थाओं से न मिलने के कारण किसान प्राइवेट डीलरों से लेने के लिए मजबूर हो गए हैं।
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना के अधीन काम कर रहे कृषि विज्ञान केंद्र रूपनगर के पास धान का सीड पीआर 126 दस क्विंटल आया था। आठ किलो की थैली साढ़े तीन सौ रुपये के हिसाब किसानों को बेची गई है। कृषि विज्ञान केंद्र में इस स्कीम का सीड खत्म होने के कारण किसान बाजार से 90 से 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीद रहे हैं। किसान नेता गुरबख्श सिंह, सुरजीत सिंह, जसवीर सिंह, बालक राम का कहना है कि सरकार ने बिना सोचे समझे धान की बुआई लेट करने का एलान क्र दिया। जब तक सकरार ने एलान किया तब तक काफी किसान धान की बुआई के लिए पनीरी लगा चुके थे। उन्होंने कहा कि किसान की धरती के नीचे घट रहे पानी के स्तर को लेकर चिंतित हैं और धान की सीधी बुआई के लिए सोच रहे हैं।
धान की किस्म पीआर 126 लगाने की बढ़ी डिमांड का मुख्य कारण सरकार द्वारा धान की लेट बुआई का कारण माना जा रहा है। किसानों के अनुसार धान की 126 किस्म की बुआई लेट करने से झाड़ पर कोई असर नहीं होता और पराली भी कम होती है। किसानों ने कहा कि धान लगाने से पहले आलू, मूंगी, हरा चाार आदि फसल लगाकर फायदा लिया जा सकता है।
कृषि विज्ञान केंद्र रूपनगर के डिप्टी डायरेक्टर ट्रेनिंग डाक्टर सतबीर सिंह ने कहा कि पहले किसान अपनी पसंद की किस्म का सीड तैयार करते थे, लेकिन अब ऐसे किसान बहुत कम हो गए हैं। यूनिवर्सिटी डिमांड के मुताबिक बीज तैयार नहीं कर सकती। इसलिए किसान आगे से जरूरत मुताबिक अपना बीज जरूर तैयार करें। उन्होंने कहा कि रूपनगर सेंटर में यूनिवर्सिटी से प्रमाणित सीड आता है। अब पीआर 121, पीआर 126, पीआर 128, पीआर 130, पीआर 131 पूसा बासमती 1121 और पंजाब बासमती का सीड आया था जो किसानों को दिया गया है। अब जो किस्म उपलब्ध है वह दिया जा रहा है। पीआर 126 का दस क्विंटल सीड आया था और दस क्विंटल ही बिक्री हो गया। डिमांड ज्यादा होने के कारण सीड की कमी है।