अखंड समाचार,दिल्ली (ब्यूरो) : ‘कौन है ये सीरियल किलर जो युवा लड़कियों की हत्याएं कर रहा है?’ यही इस फिल्म का प्रश्नवाचक चिन्ह है। सिर्फ इसलिए नहीं कि ये एक सस्पेंस या थ्रिलर फिल्म है बल्कि इसलिए कि इसके सभी प्रमुख चरित्र-गौतम मेहरा, आरवी मल्होत्रा, भैरव पुरोहित और रसिका, सभी के किरदार टेढ़े- मेढ़े लगते हैं, चारों में कुछ न कुछ खलनायकी है।
फिर भी इन चारों में कोई सबसे बड़ा खलनायक या खलनायिका है और वो कौन है? दर्शक को इस सवाल का जवाब जब आखिर में मिलता है तो वो अपनी सीट पर बैठे-बैठे ठिठक जाता है। उसे लगता है कि अरे ये तो सोचा ही नहीं था। आठ साल पहले यानी 2014 में ‘एक विलेन’ फिल्म आई थी और आठ साल बाद ये सिक्वेल आया है। इसमें कोई शक नहीं कि ‘एक विलेन रिटर्न्स’ बेहतर है। इसमें ‘अपराधी कौन?’ वाला पहलू ज्यादा जमने वाला है।
अर्जुन कपूर ने इसमें एक बिगड़ैल और गुस्सैल रईसजादे कि भूमिका निभाई है और तारा सुतारिया आरवी नाम एक ऐसी गायिका का जो उसका उपयोग अपने कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए करती है। लेकिन जब आरवी का कत्ल हो जाता है तो शक गौतम (अर्जुन कपूर) पर जाता है। पर पुलिस अधिकारी (जेडी चक्रवर्ती) को लगता है कि नहीं, मामला इतना आसान नहीं है। उधर एक टैक्सी ड्राइवर भैरव (जॉन अब्राहम) सेल्स गर्ल रसिका (दिशा पाटनी) पर डोले डालता है लेकिन रसिका अपने में एक पहेली है। वो भैरव को भी साधती है और अपने बॉस को भी। इसलिए खेल क्या है-ये मामला उलझता जाता है।
‘एक विलेन रिटर्न्स’ संगीत से भरपूर है। हालांकि इसका कोई गाना सुपरहिट होगा ऐसा नहीं लगता लेकिन थोड़ी देर के लिए कुछ गाने बांधते हैं। कुछ एक्शन सीन भी चुस्त हैं। जैसे चलटी मेट्रो ट्रेन में जब अर्जुन कपूर और जॉन अब्राहम भिड़ते हैं तो कड़क लगता है। फिल्म में कमी ये है कि जॉन अब्राहम का चेहरा भावहीन दिखता है। खासकर इंटरवल के पहले। उनकी हालिया फिल्मं इसलिए भी पिट रही हैं क्योंकि वे रुखेसुखे दिखते हैं। अर्जुन कपूर धमाकेदार है। शुरुआती सीन में ही इतना तोड़फोड़ करते हैं कि जम जाते हैं। तारा सुतारिया और दिशा पाटनी सामान्य हैं। वैसे दिशा पाटनी ग्लैमरस लगी हैं।