आरोप लगाना आसान, पर जज भी रहते हैं अनुशासित; चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी में बयां किया दर्द

अखंड समाचार — नई दिल्ली (ब्यूरो) : 

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन पर आरोप लगाना आसान है, लेकिन जजों को भी कुछ अनुशासन का पालन ड्यूटी के दौरान करना पड़ता है। बुधवार को तमिलनाडु के एक मामले को दो अलग-अलग बेंचों के सामने लिस्ट किए जाने पर छिड़े विवाद को लेकर चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी की। वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि अदालत के रजिस्ट्री विभाग को केसों की लिस्टिंग करने के दौरान कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मिस्टर दवे, रजिस्ट्री के खिलाफ गैरजिम्मेदार आरोप लगाना आसान होता है। आपको आजादी है कि आप किसी की भी आलोचना कर सकतें, लेकिन यहां अदालत में जजों के तौर पर हमें कुछ नियम मानने होते हैं। मैं मामले को देखते हुए इन नियमों का पालन करता हूं। दरअसल यह मामला तमिलनाडु के एक करप्शन केस का था, जिससे राज्य के मंत्री सेंथिल बालाजी का नाम भी जुड़ा हुआ है। 2011 से 2015 के दौरान वह एआईएडीएमके सरकार में भी परिवहन मंत्री थे। तब उन पर नौकरी के बदले घूस लेने के आरोप लगे थे। यही नहीं नौकरी के वादे भी गलत साबित हुए थे। इस मामले में बालाजी एवं अन्य लोगों के खिलाफ तीन एफआईआर हुई थीं। इसके बाद ईडी ने भी बालाजी एवं अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। इनमें से एक एफआईआर को मद्रास हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था, क्योंकि शिकायत करने वाले पीडि़तों एवं बालाजी समेत सभी आरोपियों के बीच एक समझौता हो गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया था और डीएमके लीडर समेत सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामले फिर चलाने का आदेश दिया गया। इसी मामले में अब दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल हुई थीं।

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