अखंड समाचार — शिमला (ब्यूरो) : हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग में सामने आए पेपर लीक के मामले में आयोग के सचिव रहे एचएएस अधिकारी जितेंद्र कंवर को भी आरोपी बनाया जा रहा है। विजिलेंस ब्यूरो ने इनके खिलाफ जांच की अनुमति मांगी थी। राज्य सरकार ने यह अनुमति दे दी है। अब आयोग की सचिव के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हो सकती है। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 17ए के तहत परमिशन टू इन्वेस्टिगेट दे दी है। विजिलेंस ब्यूरो अब पहले से दायर दो एफआईआर में से किसी एक में आयोग के पूर्व सचिव का नाम भी शामिल करेगी। आयोग में तैनात डिप्टी सेक्रेटरी को इस दायरे से छोड़ दिया गया है, क्योंकि उनका वहां स्टे ही बहुत कम है। पेपर लीक के बाद राज्य सरकार एक तरफ हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर चुकी है और दूसरी तरफ आयोग में चल रही भर्तियों को लोक सेवा आयोग को देने का फैसला हुआ है। विजिलेंस ब्यूरो ने इस केस में कोर्ट में पहली चार्जशीट दायर कर दी है, जिसमें मुख्य आरोपी महिला कर्मचारी उमा आजाद के अलावा सात और लोगों के नाम हैं। अब हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के खिलाफ भी जांच की अनुमति मिलने के बाद आरोपियों की संख्या बढ़ सकती है। विजिलेंस ने अब तक हुई जांच में आयोग के सचिव की संलिप्तता और जिम्मेदारी में लापरवाही के कुछ प्रमाण मिलने के बाद ही राज्य सरकार को जांच की अनुमति के लिए केस भेजा था। तथ्यों को देखते हुए सरकार को इस बारे में अनुमति देनी पड़ी। पेपर लीक मामले में कर्मचारी चयन आयोग के सचिव का क्या रोल रहा है, विजिलेंस अब इसकी जांच करेगी।
एडीजीपी बोलीं, केस में और गिरफ्तारियां संभव
एडीजीपी विजिलेंस सतवंत अटवाल त्रिवेदी का कहना है कि पेपर लीक मामले में कर्मचारी चयन आयोग के सचिव के खिलाफ जांच के लिए प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है। पेपर लीक मामले में कर्मचारी चयन आयोग के सचिव का क्या रोल रहा है, विजिलेंस इसकी जांच करेगी। उन्होंने कहा कि मामले की जांच अभी जारी है। अभी ओर भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।