एजेंसियां — चित्रकूट
त्रेतायुग के उस दृश्य को याद कीजिए, जब श्री राम रघुवंश के वचनों का मान रखने के लिए वापस अयोध्या जाने से इनकार कर देते हैं। आंखों में अश्रुधारा लिए बिलखते भरत के अनुनय पर श्रीराम अपनी खड़ाऊ उन्हें देते हैं, जिन्हें शीश पर धरकर वह अयोध्या के लिए निकल पड़ते हैं… चित्रकूट के भरतकूप से मानो इतिहास ने एक बार फिर इस भाव विह्वल कर देने वाले प्रसंग को दोहराने की शुरुआत कर दी। दो दिन पहले यहां लाई गईं चरण पादुकाएं पांच हजार साल बाद भरतकूप में महास्नान के बाद उसी रास्ते अयोध्या के लिए निकलीं, जिस रास्ते इन्हें लेकर भरत गए थे। मकर संक्रांति पर गाजे-बाजे के साथ भगवान राम की इन चरण पादुकाओं की यात्रा के भव्य शुभारंभ पर राम की तपोभूमि जयघोष से गूंज उठी। चरण पादुका यात्रा प्राण-प्रतिष्ठा से दो दिन पहले 19 जनवरी को अयोध्या पहुंचेगी।
अयोध्या से आईं पूजित चरण पादुकाएं व श्रीराम चरण चिन्ह का मकर नक्षत्र में सुबह उसी स्थान पर मंदाकिनी के पवित्र जल से स्नान व पूजन हुआ, जहां भगवान राम वनवासकाल में सबसे पहले ठहरे थे। रामघाट पर कड़ी सुरक्षा के बीच यात्रा की अगवाई कर रहे सत्यनारायण मौर्य उर्फ सत्या बाबा, भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवनदास महाराज ने साधु-संतों के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा की। इस बीच जय श्रीराम के जयकारों से धर्मनगरी गूंज उठी। चरण पादुका यात्रा राजापुर, मंझनपुर होते हुए प्रयागराज को प्रस्थान करेगी। यहां बुधवार (17 जनवरी) को प्रयागराज के ही शृंगवेरपुर जाएगी। यहां गंगा जल से पादुका स्नान-पूजन होगा। 18 जनवरी को यात्रा यहां से प्रतापगढ़ होते हुए सुल्तानपुर पहुंचेगी। 19 जनवरी को यात्रा नंदीग्राम के रास्ते अयोध्या पहुंचेगी।
गाजे-बाजे संग चित्रकूट से निकलीं श्रीराम चरण पादुकाएं, प्रतापगढ़ होते हुए 19 को नंदीग्राम के रास्ते पहुंचेंगी अयोध्या