निर्णायक बनने की आदत डालें, कन्फ्यूजन में न रहें, परीक्षा पे चर्चा के दौरान पीएम का छात्रों को गुरुमंत्र

परीक्षा पे चर्चा के दौरान पीएम का छात्रों को गुरुमंत्र, किसी भी प्रेशर को झेलने के लिए खुद को सामथ्र्यवान बनाएं

अखंड समाचार,नई दिल्ली (ब्यूरो) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ के सातवें संस्करण में देशभर के छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से बातचीत की। करीब पौने दो घंटे तक पीएम ‘सर’ की मेगा क्लास में बच्चों को परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन से लेकर बेहतर नागरिक बनने के गुर मिले। पीएम ने बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता और शिक्षकों से भी बात की। प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों को परीक्षा के तनाव से मुक्त करने में अभिभावकों एवं शिक्षकों की भूमिका रेखांकित करते हुए आज कहा कि मां-बाप को अपने बच्चे की उपलब्धि को अपना विजिटिंग कार्ड नहीं बनाना चाहिए और शिक्षकों को अपना काम केवल जॉब नहीं, बल्कि छात्रों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी समझना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से छात्रों ने सवाल किया कि वे परीक्षा और सिलेबस के प्रेशर को कैसे हैंडल करें। इसके जवाब में पीएम ने कहा कि हमें किसी भी प्रेशर को झेलने के लिए खुद को सामथ्र्यवान बनाना चाहिए। दबाव को हमें अपने मन की स्थिति से जीतना जरूरी है।

किसी भी प्रकार की बात हो, हमें परिवार में भी चर्चा करनी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि हमें आदत डाली चाहिए कि हम निर्णायक बनें। कन्फ्यूजन में नहीं रहना चाहिए। अगर कोई कन्फ्यूजन है,, तो हमें उस पर बात करनी चाहिए और उसका समाधान करके आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि कन्फ्यूजन किसी भी स्तर का हो, वो बुरा ही होता है। अनिर्णय तो और भी बुरा है। प्रधानमंत्री से एक छात्र ने सवाल किया कि पढ़ाई के साथ-साथ हमारे लिए व्यायाम और खेल कितना जरूरी है। इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह मोबाइल को इस्तेमाल करने के लिए उसे चार्जिंग और रिचार्ज की जरूरत है, ठीक वैसे ही हमारे शरीर को रिचार्ज करना जरूरी है। स्वस्थ रहना सबसे जरूरी है। अगर हम स्वस्थ नहीं रहेंगे तो परीक्षा में बैठने की सामर्थ्य नहीं होगी। कभी कभी सूर्य के प्रकाश में बैठिए। इसके अलावा नींद को महत्त्व दें, परीक्षा से पहले अच्छी नींद जरूरी है।

दूसरों से कंपीटीशन नहीं, प्रेरणा लीजिए

प्रधानमंत्री ने कहा कि आपके दोस्त से आपको किस चीज की स्पर्धा है? मान लीजिए 100 नंबर का पेपर है। आपका दोस्त अगर 90 नंबर ले आया, तो क्या आपके लिए 10 नंबर बचे? आपके लिए भी 100 नंबर हैं। आपको उससे स्पर्धा नहीं करनी है, आपको खुद से स्पर्धा करनी है… उससे द्वेष करने की जरूरत नहीं है। असल में वे आपके लिए प्रेरणा बन सकता है। अगर यही मानसिकता रही तो आप अपने से तेज तरार व्यक्ति को दोस्त ही नहीं बनाएंगे।

पढऩे के साथ-साथ लिखने की प्रैक्टिस जरूर करें

प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों को टिप्स देते हुए कहा कि आजकल लोगों की लिखने की आदत कम हो गई है। हम आईपैड वगैरह पर ज्यादा वक्त बिताते हैं, लेकिन जितना लिखेंगे उतनी ही अच्छी तैयारी होगी और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। इसलिए आप दिन में जितनी देर पढ़ते हैं उसका कम से कम आधा वक्त नोट्स बनाने में लगाएं। इससे आपको आइडिया लग जाएगा कि परीक्षा में कितनी देर में क्या आंसर लिखना है। अगर आपको तैरना आ जाएगा तो पानी में उतरने में डर नहीं लगेगा, ठीक वैसे ही जब आप लिखने की प्रैक्टिस करेंगे तो आपको टाइम मैनेजमेंट आ जाएगा और जाहिर तौर पर परीक्षा परिणाम में इसका असर दिखेगा।

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