हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी की सियासी आकांक्षा अब पंजाब में भी जाग गई है। सियासत में आने को लेकर किसान संगठनों के निशाने पर आने के बाद भी वह अपनी ‘मुहिम’ से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। वह भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने पंजाब में अगले साल होनेवाला विधानसभा चुनाव लड़ने और राज्य की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही उन्होंने अपना नया सियासी संगठन ‘मिशन पंजाब’ के गठन की भी घोषणा की है।
बता दें कि चढ़ूनी को सियासत में आने के बयानों के कारण पिछले दिनों संयुक्त किसान मोर्चा से निलंबित कर दिया गया था। आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने ऐलान कर रखा है कि उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और सिंघू और टिकरी बार्डर पर आंदोलन के दौरान नेताओं को मंच पर नहीं आने दिया जा रहा है। इसके बावजूद चढ़ूनी सियासत में आने को लेकर खुलकर मुहिम छेड़ेे हुए हैं।
चढूनी ने हाेशियारपुर के गढ़शंकर में एलान किया कि 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उतरेंगे और सभी 117 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले नहीं पंजाब मिशन के बैनर तले पंजाब की 117 सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा। जल्द ही मिशन पंजाब का गठन किया जाएगा।
किसान नेताओं से मीटिंग के बाद चढ़ूनी ने कहा कि किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए अब स्वयं सियासी मैदान पर उतरना होगा। अब तक सभी दलों ने किसानों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है, लेकिन उनके हित में कभी कोई कार्य नहीं किया। चढ़ूनी ने कहा कि 2022 में पंजाब में सरकार बनाने के बाद भारत मिशन के तहत देश में सरकार बनाई जाएगी। उन्होंने कांग्रेस व अकाली दल को किसानों का हितैषी नहीं दुश्मन बताया है।
राजेवाल को सीएम बनाने के पोस्टर से गर्माई सियासत
उधर, लुधियाना के खन्ना में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल को पंजाब का सीएम बनाने के पोस्टर लगने के बाद राज्य की सियासत गर्मा गई है। हालांकि राजेवाल के संगठन ने उने सियासत में आने की संभावना को खारिज किया, लेकिन पिछले काफी समय से इसको लेकर चल रही कयासबाजी को और हवा मिली है।
भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के महासचिव ओंकार सिंह अगौल ने कहा कि पोस्टरों से यूनियन का कोई लेना-देना नहीं है। राजेवाल और यूनियन का मकसद केवल इस आंदोलन को सफल बनाना है। राजनीति में राजेवाल की कोई रुचि नहीं है। यह विरोधियों की साजिश हो सकती है या राजेवाल के किसी प्रशंसक का उनके प्रति प्यार भी हो सकता है।
सिंघु बार्डर पर कामरेड किसान महिला नेता रजिंदर कौर हुई मौत
अटारी (अमृतसर): किसान आंदोलन में गई कामरेड महिला किसान नेता 84 वर्षीय बीबी राजिंदर कौर की दिल्ली के सिंघु बार्डर पर मौत हो गई। वह अमृतसर जिले के सीमावर्ती गांव महावा की रहने वाली थीं। उनके बेटे कामरेड हरदेव सिंह ने कहा कि गांव महावा से नौ किसान महिलाओं का जत्था 28 जुलाई को दिल्ली के लिए रवाना हुआ था।
उन्होंने बताया कि तीन जुलाई को उनकी मां को गांव लौटना था। इसी बी दो जुलाई को उनकी छाती में अचानक दर्द हुआ। उनको सोनीपत के अस्पताल में दाखिल करवाया गया जहां डाक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। रजिंदर कौर का अंतिम संस्कार गांव मुहावा के श्मशानघाट में कर दिया गया।