अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा और पंजाब तक इसकी धमक

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद लुधियाना के होजरी उद्योग को 50 करोड़ रुपये का झटका लगा है। लुधियाना से हर साल लगभग 50 करोड़ की शॉल और होजरी उत्पाद अफगानिस्तान निर्यात होता था। तालिबान के कब्जे की खबर से यहां के होजरी कारोबारियों के चेहरे पर मायूसी छाई है, क्योंकि लगभग 10 करोड़ के उत्पाद तैयार पड़े हैं, जिन्हें सितंबर के पहले सप्ताह तक अफगानिस्तान भेजा जाना था।

इसका कुछ अग्रिम भुगतान भी कारोबारियों को मिला है लेकिन चिंता का विषय है कि अगर हालात खराब होते हैं तो पूरा माल अंडर डंप हो जाएगा। इसलिए होजरी कारोबारी यही दुआ कर रहे हैं कि जल्द वहां हालात में सुधार हो, ताकी वह अपना कारोबार फिर से शुरू कर सकें। निटवेयर क्लब लुधियाना प्रधान विनोद थापर बताते हैं कि कोरोना महामारी ने पहले होजरी कारोबार की कमर तोड़ दी है। लुधियाना से हर साल अफगानिस्तान से 50 करोड़ का कारोबार होता है। वहां के कारोबारी बहुत अच्छे हैं, हर साल पहले आकर अपना माल तैयार करने के लिए एडवांस देकर जाते हैं

इस बार भी अपने माल के लिए एडवांस पैसा देकर जा चुके हैं। उनका लगभग 10 करोड़ का माल तैयार पड़ा है, जिसे सितंबर माह के पहले सप्ताह में वहां सप्लाई किया जाना था लेकिन अचानक हालात बिगड़ गए, समझ नहीं आ रहा है कि उनका क्या होगा। थापर बताते हैं कि उनसे माल लेने वाली पार्टी काबुल शहर की है, उनकी बात वहां पर हो रही है। हालांकि उनकी पार्टी तालिबान की समर्थक हैं, इसलिए वह आश्वासन दे रहे हैं कि जल्द ही हालात में सुधार होगा लेकिन जिस तरह की खबरें वह हर घंटे देख रहे हैं। ऐसे में किसी व्यापारी को यह विश्वास नहीं हो रहा कि हालात में कुछ बदलाव आएगा। यहां से होजरी उत्पादन केवल अफगानिस्तान नहीं बल्कि पाकिस्तान भी जाते हैं, क्योंकि पाकिस्तान से सीधा संपर्क नहीं है। इसलिए अफगान कारोबारी यहां से माल लेकर उसे आगे सप्लाई करते हैं। अफगानिस्तान में जिस तरह के हालात बन चुके हैं, यहां के कारोबारी सहमे हैं।

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