बागियों के तेवर को अहमियत नहीं, पंजाब के जरिए कांग्रेस ने राजस्थान-छत्तीसगढ़ को दिया यह संदेश

पंजाब में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नए मंत्रिमंडल के साथ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की रणनीति का खाका पेश कर दिया है। पार्टी ने सरकार में युवाओं पर दांव लगाकर साफ कर दिया कि वह पीढ़ीगत बदलाव की हिमायती है। वहीं कई पुराने मंत्रियों की छुट्टी कर पार्टी ने दूसरे प्रदेशों के लिए भी ट्रेंड तय कर दिया है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह के बागी तेवरों के बावजूद चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस नेतृत्व अपना दबदबा बरकरार रखने में कामयाब रहा है। चन्नी मंत्रिमंडल में कैप्टन के करीबियों को जगह नहीं देकर हाईकमान ने साफ कर दिया है कि वह वरिष्ठ नेताओं के बगावती तेवरों को ज्यादा अहमियत नहीं देगी।

केंद्र में मोदी सरकार के गठन और एक के बाद एक चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस हाईकमान की पकड़ कमजोर पड़ गई थी। उसे पार्टी के अंदर चुनौतियां मिलने लगी थी। पर पंजाब के जरिए राहुल गांधी ने उस दबदबे को फिर से कायम करने की कोशिश की है। ऐसे में इसका असर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी दिखाई देगा।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के सामने लगभग पंजाब जैसी चुनौतियां हैं। कैप्टन की तरह इन प्रदेशों के मुख्यमंत्री अपने विरोधियों के मुकाबले ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा कर अपनी कुर्सी बरकरार रखना चाहते हैं। पर पंजाब में हाईकमान साबित करने में सफल रहा है कि विधायक उसके कहने पर नेता तय करेंगे।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, इस आत्मविश्वास की बुनियाद पर ही कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नाराजगी के बावजूद सचिन पायलट के साथ भविष्य की रणनीति पर कई दौर की चर्चा की है। छत्तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के विवाद को पार्टी खत्म करना चाहती है।

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