देश में पांच लाख से ज्यादा खाली पड़े हैं इस का जम्मू और कश्मीर समेत देश के 600 से अधिक पुलिस थानों में मौजूदा समय में फोन नहीं है, जबकि ढाई सौ से अधिक में कोई वाहन नहीं है। यही नहीं, देश भर में पांच लाख से ज्यादा पुलिस के पद फिलहाल खाली पड़े हैं। ये हैरान करने वाली जानकारियां गुरुवार (10 फरवरी, 2022) को संसद की एक समिति की रिपोर्ट के जरिए सामने आईं।
संसद में गृह मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थाई समिति की पेश रिपोर्ट में बताया गया कि एक जनवरी, 2020 की स्थिति के अनुसार देश में 16,833 थानों में से 257 थानों में वाहन नहीं है, 638 थानों में टेलीफोन नहीं है और 143 थानों में वायरलेस या मोबाइल फोन नहीं हैं। कमेटी की राय है कि एडवांस पुलिस सिस्टम में बढ़िया और मजबूत कम्युनिकेशन सपोर्ट, नए उपकरण और तेज ऐक्शन के लिए अधिक गतिशीलता जरूरी है।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट आगे कहती है- 21वीं सदी में भी भारत में खासकर अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और पंजाब जैसे अनेक संवेदनशील सूबों में थाने बिना टेलीफोन या उचित वायरलैस कनेक्टिविटी के हैं, जबकि इनमें से कुछ राज्यों को 2018-19 में बेहतर प्रदर्शन प्रोत्साहन के लिए सम्मानित किया गया। समिति यह भी बोली, ‘‘जम्मू कश्मीर जैसे बहुत संवेदनशील सीमावर्ती केंद्र शासित प्रदेश में भी ऐसे थाने बड़ी संख्या में हैं, जिनमें टेलीफोन और वायरलेस सेट नहीं हैं।’’
रिपोर्ट के अनुसार कमेटी ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय ऐसे प्रदेशों को सलाह दे सकता है कि उनके थानों में पर्याप्त वाहन और कम्युनिकेशन संबंधी उपकरणों के बंदोबस्त किए जाएं, वरना केंद्र से आधुनिकीकरण के लिए अनुदानों को हतोत्साहित किया जा सकता है। इसी रिपोर्ट में इसके अलावा यह भी कहा गया कि राज्य पुलिस बलों में 5.30 लाख से अधिक पुलिसकर्मियों के पद खाली पड़े हैं। इस तरह कुल स्वीकृत संख्या (Sanctioned Strength) की तुलना में बल में 21% की कमी है।
बताया गया कि राज्य पुलिस बलों में 26,23,225 पदों की स्वीकृत संख्या की तुलना में एक जनवरी, 2020 की स्थिति के अनुसार पुलिस बल में 5,31,737 पद खाली हैं। इस तरह पुलिस बल में करीब 21% पद खाली हैं। रिपोर्ट के अनुसार खाली पड़े पदों में अधिकतर कांस्टेबल स्तर के हैं। आगे बताया गया, ‘‘देश में अपराध और सुरक्षा के मद्देनजर ये अपेक्षित आंकड़े नहीं हैं। कमेटी की राय है कि कर्मियों की संख्या में कमी से पुलिस की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है।’’
समिति ने कहा कि इससे मौजूदा कर्मियों पर काम का अतिरिक्त बोझ भी पड़ता है। साथ ही उन्हें अतिरिक्त समय तक काम करना पड़ता है। रोचक बात है कि कमेटी ने पुलिस महानिदेशकों, स्पेशल महानिदेशकों और एडिश्नल डीजीपी समेत पुलिस के टॉप स्तर के अफसरों की संख्या अधिक बताई।